‘‘गज़ब हो गया। ऐसी बस अपने आप चलती है।’’

लेखक को यह सुनकर हैरानी क्यों हुई?


जब लेखक ने बस को देखा तो वो बहुत पुरानी और टूटी-फूटी अवस्था में थी। बस का सारा पेंट निकल चुका था। बस के पहिए घिस चुके थे। बस की सीटें हिल रही थी। बस के शीशे टूट चुके थे। इंजन बहुत आवाज कर रहा था। ऐसी जर्जर बस को देख लेखक ने हिस्सेदार से पूछा कि क्या ये बस चल भी पाएगी तब उसने कहा, हां यह बस अपने आप चलती है|


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